कभी सोचता हूँ
कि मैं कौन हो
कभी सोचता हूँ
कि इस दुनिया का फलसफा क्या है
कभी सोचता हूँ
कि तू कौन है
कभी सोचता हूँ
कि तुझसे मेरा रिश्ता क्या है
कभी सोचता हूँ
कि मोहोब्बत क्या है
कभी सोचता हूँ
कि इन बातो में रखा क्या है
कभी सोचता हूँ
कि मैं कौन हो ..............................?
asa ji aap to bade lekha ho gai hai commets ke liye ek din me 2 post bhi dal dete ho
ReplyDeleteAaj to tere comment ka pitara khali hai bhi
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबेहतरीन! बहुत खूब!
ReplyDeleteबाहर मानसून का मौसम है,
लेकिन हरिभूमि पर
हमारा राजनैतिक मानसून
बरस रहा है।
आज का दिन वैसे भी खास है,
बंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।
मानसून का मूंड है इसलिए
इसकी बरसात हमने
अपने ब्लॉग
प्रेम रस
पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का मज़ा लेना
इसे पढ़ कर यह मत सोचना
कि आज सर्दी है!
मेरा व्यंग्य: बहार राजनैतिक मानसून की
शाह नवाज़ भाई आपका शुक्रिया आपके शब्दों का इंतजार था
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