Monday, June 28, 2010

यह आग कब बुझेगी

यह आग कब बुझेगी 

ये जिन्दगी भी कैसे-कैसे रंग दिखाती है आप और हम न जाने क्यों सब कुछ देखकर भी अनजान बन जाते है! ऐसा ही एक कानून हिन्दू धर्म में पाया जाता हैं! एक तरफ तो हम  जब जवित मानव को जलता देखते है तो हमारा दिल भर आता है और उसी मानव को जब मरने के बाद जलाते है तो हम दुखी नहीं होते ऐसा क्यों ?सिर्फ जिसके घर मौत का मातम होता है बस वही दुखी होता है या उसके रिश्तेदार !
मैं आप सभी से इसका जबाब मांगता हो क्या आपको जिन्दा होने पर जला दिया जाये तो कैसा रहेगा क्या कोई है जो इसका जबाब दे सके!आप सब लोगो को कोई हक नहीं किसी बेजान मानव को मारने का; जो मर गया उसको और तकलीफ क्यों दे रहे हो! आज ही से तोबा कर लो कल किसने देखा है!
जब मानव मर जाता है तो उसके शारीर को छूने से भी तकलीफ होती है उस शारीर में आत्मा नहीं होती ! आत्मा ही तो है जो उसके जीवत होने पर उसकी सारी तकलीफ को बर्दाश्त कर लेती है ! जब उसके शारीर में वही आत्मा नहीं होती तो उसको छूने से भी तकलीफ होती है !खुद को इस आग से बचाओ नहीं तो जल्द ही तुम्हे इस तकलीफ से गुजरने बाले हो !

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