Monday, July 19, 2010

महंगाई की नई कहानियां

भीम यूं तो बनवास झेल रहे थे, पर उनकी रेपुटेशन गजब थी। हिडिंबा नामक राक्षसी तक उन के प्रति सदाशयता का भाव रखती थी। सीन कुछ यूं जमा कि भीम और हिडिंबा का विवाह भी हो गया। विवाह के बाद कुछ दिन तो ठीक कटी। पर एक दिन भीम ने रसोई का बिल देखा, तो गश खाकर गिर गए। हिडिंबा के खाने में रोज पांच किलो आटा, पांच किलो चावल, पांच किलो आलू और पांच किलो टमाटर थे -इस महंगाई के जमाने में।

भीम ने बताया कि जितनी रकम में ये सब आता है, उतने में हस्तिनापुर की पूरी सेना की महीने की सैलरी दी जा सकती है।

हिडिंबा ने कहा, आप पति हैं और मुझे भोजन कराने की जिम्मेदारी आपकी ही है। और मैं तो आपसे मेकअप के लिए भी खर्च नहीं मांग रही हूं। सिंपल खाना तो खाऊंगी ही।

फिर भीम ने अपने खाने का बिल देखा, तो डर गए। सिंपल 8 रोटियां खाने में भी बहुत मुद्राएं लग रही थीं। भीम अपनी ही खुराक की रकम महंगाई में नहीं जुटा पा रहे थे। ऊपर से हिडिंबा के खर्च।

भीम डर गए और भाग खडे़ हुए। हिडिंबा ने बरसों इंतजार किया और फिर समझी कि भीम उसे भूल गए हैं। लेकिन सचाई यह थी कि भीम हिडिंबा को भूले नहीं थे, उन्हें खाने के बिल याद आ गए थे।

2 comments:

  1. bahut achhi peshkash...
    Meri Nai Kavita padne ke liye jaroor aaye..
    aapke comments ke intzaar mein...

    A Silent Silence : Khaamosh si ik Pyaas

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